बलजीत नगर में बेदखली
परिचय:–
बलजीत नगर पश्चिमी पटेल नगर दिल्ली में स्थित एक जगह है जहाँ आज हजारो घर बने हुए है और लाखो व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत कर रहे है | पिछले 10 वर्षो के दौरान यहाँ पर चार बार घरों को तोडा जा चूका है जिसमे लोगो को भारी नुकसान एव जीवन यापन की हर उस कसौटी से गुजरना पड़ा है जो बेघर् होने की स्तिथि का गहरा आभाव करा चुकी है |
इतिहास-
आजादी के समय पर यहाँ पर एक घना जंगल हुआ करता था तथा जंगल के अन्दर काफी ऊचे-ऊचे पहाड़ थे | पहाड़ो को काट कर रोड़ी-बजरी बनाने की मशीने लगाई गई | बड़े-बड़े पहाड़ो के निचे सुरंग बना कर बिस्फोट किया जाता था जिसके उपरांत मजदूरों के द्वारा हथोडो से रोड़ी बनाई जाती थी | कुछ वर्षो के पश्चात् एक सुई की फैक्ट्री भी लगाई गई जिसके बाद इस जगह का नाम सुई वाला पहाड़ रखा गया | मजदूर लोगो ने रहने के लिए जंगल में ही अपनी-अपनी एक झोपड़ी बना ली | और अपने परिवार के साथ अपना जीवन यापन करने लगे | जैसे-जैसे काम बढ़ने लगा वैसे- वैसे भरी मात्रा मैं लोगो का गाँव से शहरो की और रोजगार के लिए प्रस्थान हुआ | मजदूर उत्तर –प्रदेश , बिहार, राजस्थान और हरियाणा से आये थे | इसी तरह पत्थर तोड़ने का कार्य सन 1970 तक चला | और अब तक लोगो ने अपने खून- पसीने से जंगल के उबड़--खाबड़ पहाड़ो को रहने लायक बना लिया था साथ ही साथ सरकार के द्वारा भी विधायल व् चिकित्सा केंद्र स्थापित हुए | परिवार के बढ़ने व् जरूरतों के अनुसार लोगो ने अपने बच्चो के लिए पक्के घरों का निर्माण करना प्रारभ किया किसके लिए उन्हें स्थाई पुलिस को पैसा देना पड़ता था | तथा पुलिस के द्वारा वहां की जमीन को बेका गया | इस बस्ती का नाम बलजीत नगर (सुई वाला पहाड़) एक सामाजिक संस्थान को चलाने वाले सरदार बलजीत सिंह के नाम पर पड़ गया और लोगो ने अपने समूहों के नाम पर बस्ती के कई हिस्सों को नाम दे दिया जिसको आज गुलशन चौक ,राजस्थानी कॉलोनी, पंजाबी बस्ती ,गायत्री कॉलोनी और नेपाली मंदिर के नामो से भी जाना जाता है |
बेदखली-
सर्वप्रथम:- वर्ष 2007 में |
एम सी डी के द्वारा बलजीत नगर के एक हिस्से के 8 -10 घरो को तोडा गया परन्तु लोगो के विरोध के पश्चात् प्रशासन को पीछे हटना पड़ा तथा सभी बस्ती के लोग एकजुट होकर इस लड़ाई में आगे आये तथा जिनके घरो को तोडा गया था उनकी हर सम्भव मद्द की |
दूसरा:- वर्ष 2009 में |
एम सी डी तथा डी डी ए के द्वारा फिर एक बार पुलिस दस्ते के साथ बलजीत नगर के एक हिस्से के कुछ घरो को तोडा गया जिसमे फिर एक बार बस्ती के लोगो ने एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ा तथा फिर से प्रशासन को खदेड़ने में सफल हुए तथा और घरो को टूटने से बचाया |
तीसरा:- वर्ष 2011 में |
यह बलजीत नगर एव दिल्ली के सबसे बड़े पैमाने पर हुई जबरन बेदखली का एक भाग है जिसने हजारो परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया था जिसकी भरपाई आज तक नहीं हो पाई है नाही इन्हें सरकार से किसी भी तरह की मद्दद मिली है और नाहि सम्भावना है |
22 मार्च 2011 शाम 5 बजे बलजीत नगर के पास रामजस ग्राउंड में पुलिस के दस्ते आने शुरू हो गए साथ ही कई बिल्लोजर भी ग्राउंड में एकत्रित हो गए | लोगो ने आपस में बात की तथा निकट पुलिस से संपर्क किया | पुलिस के द्वारा बस्ती के लोगो को सूचित किया गया की कल इस ग्राउंड में एक बड़ी मीटिंग का आयोजन होने जा रहा है जिसमे सोनिया गाँधी ,राहुल गाँधी आदि नेतागण आयेगे | रात होते –होते कई हजारो की संख्या में पुलिस बल आ गया था |
23 और 24 मार्च 2011 को बलजीत नगर में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी डी ए) के द्वारा पुलिस बल के साथ 1000 घरो को धव्स्थ कर दिया गया | जनता तथा प्रशासन के बीच काफी लड़ाई भी हुई पुलिस की तरफ से लोगो पर लाठी चार्ज की गई परन्तु अधिक पुलिस बल होने के कारण लोग पुलिस को खदेड़ने में असफल रहे वाही बस्ती के कुछ लीडरो को पुलिस के द्वारा बंधी बना लिया गया था तथा कुछ लोग बस्ती की सुरक्षा के लिए हर नेता, मंत्री और सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे | इसमें एक अहम भूमिका गैर सरकारी संगठनों की भी रही है कई संगठन इस लड़ाई में बस्ती की सुरक्षा के लिए हर सम्भव् लड़ाई लड़ रहे थे जिन्ही के प्रयासों के द्वारा दिल्ली उच्च न्यालय में अपील की गई और 24 मार्च शाम 5 बजे न्यालय के द्वारा आदेश प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् जबरन बेदखली को रोका जा सका | इसमें बच्चे ,बुजुर्ग , गर्भवती महिलायो को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ा |
कानूनी प्रक्रिया :-
- अगर सरकार को कोई जमीन किसी सार्वजानिक कार्य हेतु चाहिए और वहाँ लोग रह रहे है तो सरकार को लोगो सहमती लेनी चाहिये तत्पश्चात कार्य करना चाहिए |
- किसी भी जगह को (घरो को) तोड़ने से तीन सप्ताह पहले नोटिस देना चाहिए ताकि लोगो को अपनी आवश्यकता के अनुसार अपने रहने की व्यवस्था कर सके|
- सरकार को लोगो को उनके घरो से हटाने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिय तथा घर का मुआवजा देना चाहिए और वह सभी मुलभुत सुविधायें मोहिया करनी चाहिए जी जीवन यापन के लिए आवश्यक है |
परन्तु बलजीत नगर में किसी भी प्रकार के किसी भी कानून का कोई पालन नहीं हुआ | हमने अकसर सुना होगा स्लम नवीकरण , सौंदर्यीकरण तथा किसी सरकारी परियोजना के लिए झुग्गी-बस्तियों को तोडा जाता रहा है परन्तु बलजीत नगर में कुछ सत्ताधारी नेताओ ने अपने निजी प फायदे के लिए जबरन तोड़फोड़ करवाई | जबकि बलजीत नगर की जमीन सरकार से 99 वर्ष के पट्टे पर लीं गई थी और अभी तो सिर्फ 70 वर्ष ही हुए है |
न्यालय द्वारा आदेश :-
डी डी ए को आदेश दिया गया की वह लोगो की छतिपूर्ति करे एव घरो के निर्माण की लिए 2 लाख रूपय की राशी प्रतेक परिवार को प्रदान करे परन्तु आज तक नाहि छतिपूर्ति की गई नाहि पैसा दिया गया |
चौथा :- वर्ष 2017 में |
5 जुलाई 2017 सुबह 10 बजे दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी डी ए) के द्वारा जबरन बेदखली अभियान चलाया गया जिसमे 500 घरो को ध्वस्त कर दिया गया | जिसमे कई लोगो को भारी चोट भी आई तथा एक बच्चे की आखं की रौशनी भी चली गई परन्तु प्रशासन को खदेड़ने में जनता एक बार फिर असफल हुए लेकिन उनको आभास हो रहा था की 12 ,14 और 20 जुलाई को दुबारा बस्ती में तोड़ फोड़ की जायगी | इसलिए डी डी ए कार्यलय विकास सदन आई अन ए पर 11 जुलाई को धरना प्रदर्शन किया गया जिसमे बस्ती से भरी संख्या में लोग एकत्रित हुए और गैर सरकारी संस्थानों के लोगो ने भी इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया तथा डी डी ए पर हल्ला बोला | धरने के दौरान डी डी ए के अधिकारियो ने लोगो से बात करने को कहा जिसमे लोगो कि एक टीम ने अधिकारियो के समक्ष गैर क़ानूनी प्रक्रिया का विरोध किया तथा न्याय की मांग की | अधिकारी ने आश्वासन दिया की लोगो के घरो को नहीं तोडा जायगा तथा लोगो को मुलभुत सुविधायें जल ही मोहिया कराई जायगी |